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UPSC CSE PRE AND MAINS SYLLABUS IN HINDI

 UPSC CSE PRE AND MAINS SYLLABUS IN HINDI 

 IAS EXAM SYLLABUS PRE AND MAINS GS & ESSAY PAPER




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प्रारंभिक परीक्षा का पाठ्यक्रम - 

प्रश्नपत्र प्रथम- 200 अंक ,अवधि- 2 घंटा

1. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व की समसामयिक घटनाएं ।

2. भारत का इतिहास और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन।

3.भारत एवं विश्व का भूगोल - भारत एवं विश्व का प्राकृतिक , सामाजिक ,आर्थिक भूगोल ।

4. भारतीय राज्य तंत्र और शासन -संविधान , राजनीतिक प्रणाली, पंचायती राज , लोकनीति ,अधिकारों संबंधी मुद्दे ,आदि

5. आर्थिक और सामाजिक विकास - सतत विकास, गरीबी, समावेशन, जनसांख्यिकी, सामाजिक क्षेत्र में की गई पहल आदि ।

6. पर्यावरण पारिस्थितिकी जैव विविधता और मौसम परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे , जिनके लिए विषय गत विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं है ।

7. सामान्य विज्ञान ।


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PAPER 2 -CSAT PAPER SYLLABUS-  200 marks (2 hour) qualifying paper need 33 % marks  

1. बोधगम्यता।

2. संचार कौशल सहित अंतर -व्यक्ति कौशल ।

3. तार्किक कौशल व विश्लेषणात्मक क्षमता ।

4.निर्णय लेना और समस्या समाधान ।

5.सामान्य  मानसिक योग्यता ।

6.आधारभूत  संख्यनन (संख्याए और उनके  संबंध, विस्तार कर्म आदि ) (दसवीं कक्षा का स्तर ),आंकड़ों का निर्वचन ( चार्ट, ग्राफ, तालिका , आंकड़ों की पर्याप्तता आदि  दसवीं कक्षा का स्तर।


UPSC CSE MAINS EXAM SYLLABUS IN HINDI -

PAPER -1 


निबंध  :

उम्मीदवारों को विविध विषयों पर निबंध लिखना होगा।  उनसे अपेक्षा की जाएगी कि  वे निबंध के विषय पर ही केंद्रित रहे तथा अपने विचारों को सुनियोजित रूप से व्यक्त करें और संक्षेप में लिखें  प्रभावी और सटीक अभिव्यक्ति के लिए अंक प्रदान किए जाएंगे ।

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PAPER - 2 

सामान्य अध्ययन पेपर -1 :  भारतीय विरासत और संस्कृति , विश्व के इतिहास एवं भूगोल और समाज

1. भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे।

2. 18 वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्वपूर्ण घटनाएं , व्यक्तित्व विषय । 

3. स्वतंत्रता संग्राम - इसके विभिन्न चरण और देश के विभिन्न भागों से इस में अपना योगदान देने वाले महत्वपूर्ण व्यक्ति /उनका योगदान ।

4.  स्वतंत्रता के पश्चात देश के अंदर एकीकरण और पुनर्गठन ।

 5.  विश्व के इतिहास में 18वीं सदी की घटनाएं यथा औद्योगिक क्रांति,  विश्वयुद्ध ,राष्ट्रीय सीमाओं को पुनः सीमांकन , उपनिवेशवाद, उपनिवेशवाद की समाप्ति , राजनीतिक दर्शन शास्त्र जैसे साम्यवाद, पूंजीवाद, समाजवाद आदि शामिल होंगे, उनके रूप और समाज पर उनका प्रभाव ।

6. भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएँ, भारत की विविधता। 

7.महिलाओं की भूमिका और महिला संगठन, जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे, गरीबी और विकासात्मक विषय, शहरीकरण, उनकी समस्याएँ और उनके रक्षोपाय।

8.भारतीय समाज पर भूमंडलीकरण का प्रभाव।

9.सामाजिक सशक्तीकरण, संप्रदायवाद, क्षेत्रवाद और धर्मनिरपेक्षता।

10.विश्व के भौतिक भूगोल की मुख्य विशेषताएँ।

 11. विश्व भर के मुख्य प्राकृतिक संसाधनों का वितरण (दक्षिण एशिया और भारतीय उपमहाद्वीप को शामिल करते हुए), विश्व (भारत सहित) के विभिन्न भागों में प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्र के उद्योगों को स्थापित करने के लिये ज़िम्मेदार कारक।

12.भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखीय हलचल, चक्रवात आदि जैसी महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ, भौगोलिक विशेषताएँ और उनके स्थान- अति महत्त्वपूर्ण भौगोलिक विशेषताओं (जल-स्रोत और हिमावरण सहित) और वनस्पति एवं प्राणिजगत में परिवर्तन और इस प्रकार के परिवर्तनों के प्रभाव।


 


PAPER - 3

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 -शासन व्यवस्था, संविधान, शासन प्रणाली, सामाजिक न्याय तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंध-

1.भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।

2.संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, संघीय ढाँचे से संबंधित विषय एवं चुनौतियाँ, स्थानीय स्तर पर शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण और उसकी चुनौतियाँ।

3.विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थान।

4.भारतीय संवैधानिक योजना की अन्य देशों के साथ तुलना।

5.संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय।

6.कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्य- सरकार के मंत्रालय एवं विभाग, प्रभावक समूह और औपचारिक/अनौपचारिक संघ तथा शासन प्रणाली में उनकी भूमिका।

7.जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ।

8.विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्ति और विभिन्न संवैधानिक निकायों की शक्तियाँ, कार्य और उत्तरदायित्व।

9.सांविधिक, विनियामक और विभिन्न अर्द्ध-न्यायिक निकाय।

10.सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

11.विकास प्रक्रिया तथा विकास उद्योग- गैर-सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, विभिन्न समूहों और संघों, दानकर्ताओं, लोकोपकारी संस्थाओं, संस्थागत एवं अन्य पक्षों की भूमिका। 

12.केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय।

13.स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।

14.गरीबी एवं भूख से संबंधित विषय।

15.शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्त्वपूर्ण पक्ष, ई-गवर्नेंस- अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएँ, सीमाएँ और संभावनाएँ; नागरिक चार्टर, पारदर्शिता एवं जवाबदेही और संस्थागत तथा अन्य उपाय।

16.लोकतंत्र में सिविल सेवाओं की भूमिका।

17.भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध।

18.द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।

19.भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।

20. महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।



PAPER -4

सामान्य अध्ययन- 3 (प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन)


1.भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।

2.समावेशी विकास तथा इससे उत्पन्न विषय।

3.सरकारी बजट।

4.मुख्य फसलें- देश के विभिन्न भागों में फसलों का पैटर्न- सिंचाई के विभिन्न प्रकार एवं सिंचाई प्रणाली- कृषि उत्पाद का भंडारण, परिवहन तथा विपणन, संबंधित विषय और बाधाएँ; किसानों की सहायता के लिये ई-प्रौद्योगिकी।

5.प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय; जन वितरण प्रणाली- उद्देश्य, कार्य, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय; प्रौद्योगिकी मिशन; पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र।

6.भारत में खाद्य प्रसंस्करण एवं संबंधित उद्योग- कार्यक्षेत्र एवं महत्त्व, स्थान, ऊपरी और नीचे की अपेक्षाएँ, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन।


7.भारत में भूमि सुधार।

8.उदारीकरण का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, औद्योगिक नीति में परिवर्तन तथा औद्योगिक विकास पर इनका प्रभाव।

9.बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।

10.निवेश मॉडल।

11.विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव।

12.विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

13.सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

14.संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

15.आपदा और आपदा प्रबंधन।

16.विकास और फैलते उग्रवाद के बीच संबंध।

17.आंतरिक सुरक्षा के लिये चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन विरोधी तत्त्वों की भूमिका।

18.संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को चुनौती, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया और सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की भूमिका, साइबर सुरक्षा की बुनियादी बातें, धन-शोधन और इसे रोकना।

19.सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियाँ एवं उनका प्रबंधन- संगठित अपराध और आतंकवाद के बीच संबंध।

20.विभिन्न सुरक्षा बल और संस्थाएँ तथा उनके अधिदेश।




PAPER -5 ETHICS

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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-4 नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि

इस प्रश्न-पत्र में ऐसे प्रश्न शामिल होंगे जो सार्वजनिक जीवन में उम्मीदवारों की सत्यनिष्ठा, ईमानदारी से संबंधित विषयों के प्रति उनकी अभिवृत्ति तथा उनके दृष्टिकोण तथा समाज से आचार-व्यवहार में विभिन्न मुद्दों तथा सामने आने वाली समस्याओं के समाधान को लेकर उनकी मनोवृत्ति का परीक्षण करेंगे। इन आयामों का निर्धारण करने के लिये प्रश्न-पत्र में किसी मामले के अध्ययन (केस स्टडी) का माध्यम भी चुना जा सकता है। मुख्य रूप से निम्नलिखित क्षेत्रों को कवर किया जाएगा।


1.नीतिशास्त्र तथा मानवीय सह-संबंधः मानवीय क्रियाकलापों में नीतिशास्त्र का सार तत्त्व, इसके निर्धारक और परिणाम; नीतिशास्त्र के आयाम; निजी और सार्वजनिक संबंधों में नीतिशास्त्र, मानवीय मूल्य- महान नेताओं, सुधारकों और प्रशासकों के जीवन तथा उनके उपदेशों से शिक्षा; मूल्य विकसित करने में परिवार, समाज और शैक्षणिक संस्थाओं की भूमिका।


2.अभिवृत्तिः सारांश (कंटेन्ट), संरचना, वृत्ति; विचार तथा आचरण के परिप्रेक्ष्य में इसका प्रभाव एवं संबंध; नैतिक और राजनीतिक अभिरुचि; सामाजिक प्रभाव और धारण।

3.सिविल सेवा के लिये अभिरुचि तथा बुनियादी मूल्य- सत्यनिष्ठा, भेदभाव रहित तथा गैर-तरफदारी, निष्पक्षता, सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण भाव, कमज़ोर वर्गों के प्रति सहानुभूति, सहिष्णुता तथा संवेदना।


4.भावनात्मक समझः अवधारणाएँ तथा प्रशासन और शासन व्यवस्था में उनके उपयोग और प्रयोग।

5.भारत तथा विश्व के नैतिक विचारकों तथा दार्शनिकों के योगदान।

6.लोक प्रशासन में लोक/सिविल सेवा मूल्य तथा नीतिशास्त्रः स्थिति तथा समस्याएँ; सरकारी तथा निजी संस्थानों में नैतिक चिंताएँ तथा दुविधाएँ; नैतिक मार्गदर्शन के स्रोतों के रूप में विधि, नियम, विनियम तथा अंतरात्मा; उत्तरदायित्व तथा नैतिक शासन, शासन व्यवस्था में नीतिपरक तथा नैतिक मूल्यों का सुदृढ़ीकरण; अंतर्राष्ट्रीय संबंधों तथा निधि व्यवस्था (फंडिंग) में नैतिक मुद्दे; कॉरपोरेट शासन व्यवस्था।

7.शासन व्यवस्था में ईमानदारीः लोक सेवा की अवधारणा; शासन व्यवस्था और ईमानदारी का दार्शनिक आधार, सरकार में सूचना का आदान-प्रदान और पारदर्शिता, सूचना का अधिकार, नीतिपरक आचार संहिता, आचरण संहिता, नागरिक घोषणा पत्र, कार्य संस्कृति, सेवा प्रदान करने की गुणवत्ता, लोक निधि का उपयोग, भ्रष्टाचार की चुनौतियाँ।


8.उपर्युक्त विषयों पर मामला संबंधी अध्ययन (केस स्टडीज़)।





प्रौद्योगि


की, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन
सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3
प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन
शासन व्यवस्था, संविधान, शासन प्रणाली, सामाजिक न्याय तथा अंतर्राष्ट्रीय सशासन व्यवस्था, संविधान, शासन प्रणाली, सामाजिक न्याय तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंध

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3 Comments
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  1. Bahut badhiye help full sir ji

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  2. Sir ji Gud morning..It is very nice & helpful to all Hindi Medium aspirants Thank you so much dear sir & our elder brother.....

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